भारतीय इलाज के तरीकों के दिन बहुरेंगे

भारतीय इलाज के तरीकों के दिन बहुरेंगे

सेहतराग टीम

एलोपैथी के बोलबाले के बीच भारत में अन्‍य च‍िकित्‍सा पद्धतियों की हालत शुरू से खराब है। मात्र एक सदी पुरानी विदेशी एलोपैथी च‍िकित्‍सा पद्धति ने हजारों साल पुरानी आयुर्वेद जैसी भारतीय च‍िकित्‍सा पद्धति को किनारे लगा दिया है। यहां तक कि खुद भारतीयों को भी अपनी ही च‍िकित्‍सा पद्धति पर भरोसा नहीं होता है। ऐसे में सरकार ने अब आयुर्वेद समेत अन्‍य वैकल्पिक चि‍कित्‍सा पद्धतियों के लिए एक राष्‍ट्रीय आयोग बनाने का फैसला लिया है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को भारतीय चिकित्‍सा प्रणालियों के लिए राष्‍ट्रीय आयोग (एनसीआईएम) विधेयक, 2018 के मसौदे को मंजूरी दे दी जिसका मकसद मौजूदा नियामक भारतीय चिकित्‍सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) के स्‍थान पर एक नया निकाय गठित करना है, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके। 

सरकार ने एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी है। विधेयक के मसौदे में चार स्‍वायत्‍त बोर्डों के साथ एक राष्‍ट्रीय आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। इसके तहत आयुर्वेद से जुड़ी समग्र शिक्षा के संचालन की जिम्‍मेदारी आयुर्वेद बोर्ड और यूनानी, सिद्ध एवं सोवा रिग्‍पा से जुड़ी समग्र शिक्षा के संचालन की जिम्‍मेदारी यूनानी, सिद्ध एवं सोवा रिग्‍पा बोर्ड के पास होगी।

बयान में कहा गया कि इसके अलावा दो सामान्‍य या आम बोर्डों में आकलन एवं रेटिंग बोर्ड और आचार नीति एवं भारतीय चिकित्‍सा प्रणालियों के चिकित्‍सकों का पंजीकरण बोर्ड शामिल हैं। आकलन एवं रेटिंग बोर्ड भारतीय चिकित्‍सा प्रणालियों के शैक्षणिक संस्थानों का आकलन करने के साथ-साथ उन्हें मंजूरी देगा। भारतीय चिकित्‍सा प्रणालियों के चिकित्‍सकों का पंजीकरण बोर्ड भारतीय राष्ट्रीय चिकित्‍सा आयोग के अधीन प्रैक्टिस से जुड़े आचार नी‍ति मुद्दों के साथ-साथ राष्‍ट्रीय रजिस्‍टर के रख-रखाव की जिम्‍मेदारी संभालेगा।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘इसमें एक सामान्य प्रवेश परीक्षा और एक ‘एक्जिट एक्‍जाम’ का प्रस्‍ताव भी है। प्रैक्टिस का लाइसेंस हासिल करने के लिये सभी स्नातकों को इसे उत्तीर्ण करना होगा। इसके अलावा, विधेयक में एक शिक्षक अर्हता परीक्षा आयोजित करने का भी प्रस्‍ताव है, ताकि नियुक्ति एवं पदोन्‍नति से पहले शिक्षकों के ज्ञान के स्‍तर का आकलन किया जा सके।’

उन्होंने कहा कि अब तक चीजें तदर्थ थीं। प्रसाद ने कहा कि सरकार आयुर्वेद से लेकर सिद्ध और युनानी जैसी भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
बयान में कहा गया कि विधेयक के मसौदे का उद्देश्‍य एलोपैथी चिकित्‍सा प्रणाली के लिए प्रस्‍तावित राष्‍ट्रीय चिकित्‍सा आयोग की तर्ज पर भारतीय चिकित्‍सा क्षेत्र की चिकित्‍सा शिक्षा में व्‍यापक सुधार लाना है।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।